photo kheenchane se koee photograaphar nahin banata, usake lie dimaag aur hunar donon kee hee jaroorat hotee hai, namoona aapake saamane ye 40 photographs hai

आज कल की जनरेशन के हर बच्चे के पास मोबाइल फ़ोन है, मोबाइल फ़ोन ही नहीं स्मर्टफ़ोने है। जिसकी मदद से आज कोई भी कभी भी फोटो खींच सकता है, और जो फोटो थोड़ी भी अच्छी खींचता है उसीको सब फोटोग्राफर बना देते है और वो खुद को प्रोफेशनल समझने लगता है। अब इसके चलते सबसे ज्यादा बेज़्ज़ती बेचारे फोटोग्राफर्स की हुई है, जो अपने हुनर और दिमाग से हमारी बेहतरीन फोटो खींचते थे पर इस स्मार्टफोन के दौर में जहा पहले 2 मेगापिक्सेल का फ़ोन रखना स्टैण्डर्ड की बात होती थी, वही आज 24 मेगापिक्सेल का फ़ोन नार्मल हो गया है।

वैसे फोटो खींचना बुरी बात नहीं है नाही फोटोग्राफी करना गलत है पर खुद को एक फोटोग्राफर बोलना गलत है। जैसे हम महंगी कलम से लिखने वाले को लेखक़ नहीं कह सकते वैसे ही high pixel smartphone होने से कोई फोटोग्राफर नहीं बन जाता। 

यहां कुछ तस्वीरे हैं, जो एक Raw फ़ोटो से अच्छी फ़ोटो बनने के सफ़र के बड़े अच्छे से समझा ये सीरीज़ ये भी बताएंगी कि फ़ोटो क्लिक करना क्या होता है और फ़ोटोग्राफी क्या कहलाती है। 

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अच्छे फ्रेम में, अच्छी लाइट में फ़ोटो हर कोई खींच लेता है, लेकिन एक Raw फ़्रेम को बेहतरीन बनाने का काम एक फ़ोटोग्राफ़र ही कर सकता है। 

अगर आपके किसी दोस्त को फ़ोटोग्राफ़र होने का भ्रम है, तो उसे यहां टैग करना मत भूलिएगा। 

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